घटना का विवरण

"सोच बदलो गांव बदलो यात्रा - उद्देश्य"

30 सितंबर 2018 से 01 अक्टूबर 2018 तक

वैचारिक जन चेतना और जन जागरूकता ही समाज के विकास का आधार है। हमारे गाँवों में जागरूकता का अभाव, शिक्षा का अनुगामी, रोजगार या व्यवसाय के सदनों का अभाव, आधारभूत सुविधाएँ (जैसे रहने योग्य घर, पीने योग्य पानी, पक्की सड़कें, शौचालय) का अभाव, अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, आधुनिक खेती के प्रति अन्य अनाकर्षकता , पानी की कमी, सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के विषय में पर्याप्त जानकारी का अभाव और योग्य लाभार्थी जब तक योजनाओं का लाभ न पहुँचता है, तब तक। इन्हीं समस्याओं ने समाज में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक लोकतंत्र और न्याय स्थापित कर एक समतामूलक समाज स्थापित करने में सबसे बड़ी बाधा खड़ी हुई है। अतः इन सभी समस्याओं के समाधान और ग्रामीण भारत के जीवन स्तर में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए शिक्षित, जागरूक और संगठित युवा पीढ़ी ने नई सोच, नए उत्साह और उमंग के साथ "सोच बदलो-गाँव बदलो" अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ काम कर रहा है: -

1. गाँवों में सकारात्मक सोच और रचनात्मक कार्यों द्वारा जन जागरूकता पैदा करना और विकास के लिए जनचेतना पैदा करना ताकि हम अपने अधिकारों और स्लावों के प्रति संवेदनशील हो सकें और विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनें |

2. गाँवों की स्थानीय समस्याओं पर विचार करना और उनका स्थानीय स्तर पर समाधान खोजने का प्रयास करना। गाँवों के विकास को गति देने के लिए "गाँव विकास समितियों" का गठन करना। जिसका प्रमुख दो ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के साथ सहयोगात्मक समन्वय द्वारा गांव के विकास के लिए कार्य करना |

3. युवा पीढ़ी का उचित मार्गदर्शन करना और युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देना ताकि हमारे युवा प्रगति पथ पर आगे बढ़ें, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भागीदारी रहें और अपने माँ-बाप, गाँव व देश का नाम रोशन करें।

4. बच्चों को अच्छे संस्कारों और अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरित करना। बच्चों में मानवीय मूल्यों को शामिल करना ताकि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ साथ सामाजिक स्तर में भी सुधार हो। इस हेतु गाँवों में बाल संस्कार केंद्रों की स्थापना करना। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करना |

5. बच्चों को नियमित रूप से सम्मानित और प्रेरित करना। शिक्षा के क्षेत्र में जरूरतमंद बच्चों की आर्थिक सहायता करना। गाँवों में "पुस्तकालय खुलवाना" और उनका नियमित संचालन करना। "उत्थान कोचिंग संस्थान" के नाम से कोचिंग संस्थानों की स्थापना करना और संचालन करना।

6. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों की जानकारी देना। सरकारी योजनाओं (केंद्र / राज्य / नाबार्ड) की जानकारी और उनके लाभ लाभार्थियों तक पहुँचाने में सरकारी एजेंसीज का सहयोग करना। इस अभियान का मूल मंत्र है - आमजन की सक्रिय भागीदारी ही विकास का आधार है।

7. "वित्तीय समावेशन" सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम आयोजित करना। वित्तीय समावेशन के महत्व के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करना और क्रेडिट (KCC / GCC / ACC) के विषय में जागृति लाना। अधिकतम लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने का प्रयास करना |

8. स्वयं सहायता समूह, किसान समूह, महिला मंडल, युवा संगठन औरम चौपाल जैसी व्यवस्थाओं को स्थापित करके लोगों को नियमित रूप से भागीदारी के लिए प्रेरित करना और गांव के सुधार एवंम विकास कार्यों पर परिचर्चा और सामूहिक निर्णय के लिए प्रेरित करना है। सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन का प्रयास करना |

9. लोगों को पर्यावरण के विषय में जागरूक करना ताकि पेड़ व पानी का संरक्षण किया जा सके। इसके अंतर्गत वृक्षारोपण, जल संरक्षण अभियान, अतिक्रमण मुक्ति अभियान, स्वच्छता अभियान इत्यादि कार्यक्रम संचालित करना | किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना ताकि उन्नत खेती के साथ हमारे गाँवों में खुशहाली लाई जा सके।

10. लोगों में परिवर्तन, समरसता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवतावादी सोच को बढ़ावा देना। न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित समतामूलक समाज का निर्माण करना।

सोच बदलो गांव बदलो टीमवेयर, सजग, संवेदनशील और प्रबुद्द युवाओं / नागरिकों विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाले युवाओं से अनुरोध करता है कि अपने सकारात्मक, धैर्यवान, नवाचारी विचारों और सुझावों से गांवों के संपूर्ण विकास के महत्वाकांक्षी सपनों को पूरा करें। । अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें।

आओ! सकारात्मकता और रचनात्मकता पर आधारित एक नए ग्रामीण भारत का निर्माण करें।

साभार - "सोच बदलो गांव बदलो टीम"

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